मेहमान है तू
( तर्ज : ओठों में हँसी , पलकों में ... )
मेहमान है तू , अरे दो दिन का ,
यहाँ कौन हमेशा रहता है ? ॥
बतला तो सही , तेरे और कहाँ ?
तू नाम जिन्होंका कहता है ! टे ।
तू तेरा है की औरोंका ,
माँ - बापका है गैरोंका ।
सब सुनके चला ,
सच क्या निकला ?॥
यहाँ कौन ..॥ १।।
जैसा ही करे वैसा ही भरे ,
यहाँ नेकका बदला नेक मिले ।
शक्कर जो दिये शक्कर ही मिले ।
यहाँ कौन ...॥ २ ॥
दिखने को अटारी है भारी ,
जरतारी पहने है नारी ।
सब ठाट पड , जब प्राण उडे ।
यहाँ कौन ...॥ ३ ॥
तेरि आँखोंमें धूर दिया किसने ?
मैं चाँद - सुरज तक रहता हूँ ।
कहता तुकड्या , भज राम सदा ॥
यहाँ कौन ॥४ ॥
मालेगाँव , दि . ७ - ९ -६२
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा